Holi Festival 2021: होली ऐसे मनाओगे तो घर खुशियों से भर जाएगा

Where is Holi date? What is Holi in March? How is Holi date decided? Which year Holi in February month? Who Holi 2020? Is Holi a national holiday? What holiday is called Holi? Is tomorrow a holiday in Telangana? What kind of holiday is Holi?
Holi festival 2021

Holi Festival 2021: जानिए पुर्ण परमात्मा के साथ राम रंग होली मनाने का सही तरीका

Holi Festival 2021: भारत देश त्योहारों का एक गढ़ है और इन्हीं में से होली एक सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार हिंदुओं में मनाया जाता है। आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से आप सब को यह बताना चाहते हैं कि होली किस तरह मनाना चाहिए?, क्या हम जो अभी होली रंगों के माध्यम से मना रहे हैं यह सही है? और इसी के साथ हम यह जानेंगे कि राम नाम की होली किस तरह मनाई जाती है?
    Holi Festival 2021:- होली के त्यौहार पर भारत देश में उल्लास का वातावरण रहता है। रंग अबीर गुलाल का त्यौहार, एक-दूसरे का मुंह मीठा करने, गले मिलने, हर जाति धर्म वर्ग संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। किसानों व ग्रामीणों में अलग ही खुशियों का जोश रहता है। डांडा रोके जाने के बाद तो यह उत्साह उमंग का वातावरण अलग स्तर पर पहुंच जाता है। महिलाओं के गीत महीने भर तक चलते हैं।

    होली (Holi) कैसे मनाई जाती है?

    Holi Date 2021: होली (Holi 2021) बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस वर्ष होली 29 मार्च को मनाई जा रही है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार नाम से मशहूर यह त्योहार दो दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहा कहते हैं। दूसरे दिन, लोग आपस में एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल-नगाड़े बजा कर होली के गीत गाते हैं और घर-घर जा कर अपने आस पड़ोसी, दोस्तों और रिश्तेदारों को रंग लगाते हैं।

    होलिका दहन से होलिका आपकी रक्षा नहीं कर सकती?

    Holi Festival 2021: हिंदू धार्मिक प्रचलन के अनुसार होली के त्योहार से एक दिन पहले होलिका दहन में लोग गोबर के उपलों के उपर लकड़ियों का जला कर उसके आसपास चक्कर लगाते हुए होलिका को माता स्वरूप में मानते हुए अपने घर परिवार की सलामती की दुआ करते हैं। 
    विचार करने योग्य बात जो होलिका वरदान प्राप्त होने के बावजूद अपनी रक्षा स्वयं ना कर पाई, वह होलिका आपकी और आपके परिवार की रक्षा कैसे करेगी? 
    मां का स्वभाव ममता प्यार और प्रेम भरा होता है, और जिस होलिका को अपने भाई हिरण्यकश्यप के पुत्र को अग्नि में जला देने का अफसोस तक नहीं था। ऐसी कुकर्मी होलिका आप पर कौन सी दया और ममता न्यौछावर करेगी?

    परमात्मा द्वारा भक्त प्रहलाद की रक्षा: -

    विष्णु पुराण में लिखित एक कथा के अनुसार दैत्यों के राजा आदिपुरुष कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए। हिरण्यकश्यप और हिरण्याक्ष। हिरण्यकश्यप रजोगुण के देवता श्री ब्रह्मा जी का उपासक था। उसने कठोर तपस्या द्वारा ब्रह्मा जी को प्रसन्न करके एक वरदान प्राप्त किया था कि, वह ना किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सके, ना किसी पशु-पक्षी के द्वारा, ना दिन में मारा जा सके और ना ही रात में, ना घर के अंदर ना घर के बाहर, ना किसी अस्त्र के प्रहार से और ना किसी शस्त्र के प्रहार से ताकि उसके प्राणों को कोई ना हर सके। 
    इस वरदान को पाकर वह बड़ा घमंडी और अहंकारी बन गया था और वह अपने  आप को अजर-अमर समझने लगा। हिरणकश्यप ने इंद्र के राज को छीन लिया और तीनों लोकों के देवताओं को परेशान यातनाएं एवं प्रताड़ित करने लगा। हिरण्यकश्यप यह चाहता था कि सब लोग उसे ही भगवान मानकर उसकी आराधना पूजा करें। उसने अपने राज्य में विष्णु की पूजा करना वर्जित कर दिया था। परंतु परमात्मा ने उसके घर मैं प्रहलाद भक्त का जन्म किया। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद, भगवान विष्णु का उपासक था। कैलाश की आस्था भगवान विष्णु में बहुत ज्यादा थी वह हिरण्यकश्यप की पूजा करने के लिए बिल्कुल विरुद्ध था और यातना एवं प्रताड़ना के बावजूद भी वह विष्णु की पूजा करता रहा। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए। वह अंहकार के कारण हिरणयकश्यप कहता था कोई भी विष्णु की उपासना नहीं करेगा, सभी केवल मेरे नाम हिरण्यकशिपु का जाप करेंगे। उसने अपने पुत्र प्रहलाद से भी हिरण्यकश्यप नाम की रट लगाने को कहा। 
    लेकिन प्रह्लाद ने मना कर दिया, कहां की:- पिताजी आप भगवान नहीं हैं। जो मैं आपका नाम लेकर पूजा करू। अपने पुत्र से यह सब बातें सुनकर चिढ़ कर हिरण्यकश्यप राक्षस ने उसे मारने के लिए कई यात्नाएं दी परंतु उसकी हर बार परमात्मा द्वारा रक्षा हुई। अंत में क्रोधित हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में पुत्र प्रह्लाद को लेकर प्रज्ज्वलित अग्नि में बैठ जाए क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं चल सकती। होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई अग्नि के चलते ही होलिका जलकर राख हो गई और प्रहलाद की रक्षा हुई। अंत में क्रोधित होकर आखरी प्रयास में हिरण्यकश्यप मैं एक स्तंभ खंभों को गरम करवा कर उसे प्रह्लाद को गले लगाने को कहा।
    कबीर परमेश्वर ने कहा है कि कोई भी भगत किसी भी जन्म में मेरी भक्ति की होगी तो मैं उसका बाल भी बांका नहीं होने देता। उसकी हर पल दास बनकर सहायता करता रहता हूं।
    उस स्तंभ को तोड़कर उसमें से नरसिंह भगवान प्रकट हुए तथा और हिरण्यकश्यप को उठाकर प्रवेश द्वार की चौखट पर ले कर गए, गोधूलि बेला में (जब ना दिन था ना रात) वरदान के अंतर्गत उसे कोई मनुष्य नहीं मार सकता था इसलिए नरसिंह रूप में आधा मनुष्य, आधा पशु जो ना नर था ना पशु ऐसे नरसिंह के रूप में अपने लंबे तेज़ नाखूनों से(जो किसी अस्त्र-शस्त्र की श्रेणी में नहीं आते हैं), जो न अस्त्र थे न शस्त्र थे, मार डाला।  

    विष्णु भक्त होने के बावजूद भी परमात्मा ने प्रहलाद की रक्षा क्यों की?

    जिस भक्तआत्मा की जिस भी भगवान में जैसी आस्था होती है परमात्मा उसे उसी रूप में प्रकट होकर अपने भक्त की रक्षा किया करते हैं। यदि ऐसा ना करते तो लोगों का परमात्मा से विश्वास उठ जाता। परमात्मा यह चाहते थे कि उनका विश्वास बना रहे उनकी भक्ति आस्था में से विश्वास ना हटे।  सूक्ष्म वेद में वर्णित है कि,
    हिरण्यकश्यप छाती तुड़वाई, 
    ब्राह्मण बाणा कर्म कसाई।
    इस प्रकार हिरण्यकश्यप वरदान होने के बावजूद भी अपने दुष्कर्म व कूकर्मों के कारण भयानक मौत को प्राप्त हुआ।
    लेकिन विष्णु भक्त आज तक भी कबीर परमेश्वर के नरसिंह स्वरूप को विष्णु का रूप मानकर एक भूल में गिरे हुए हैं
    शास्त्र विरुद्ध साधना करने वालों को सुख की प्राप्ति नहीं होती
    ।।यः, शास्त्रविधिम्, उत्सृज्य, वर्तते, कामकारतः,।।
    ।। न, सः, सिद्धिम, अवाप्नोति, न, सुखम, न, पराम, गतिम।।
    गीता अध्याय 16 श्लोक 23 अनुसार जो पुरुष शास्त्रविधि साधना को त्यागकर मनमाना आचरण करते हैं उसे ना तो सिद्धि को प्राप्त होता है ना परम गति को और ना सुख को ही। यही अंजाम ब्रह्मा की पूजा करने वाले हिरण्यकश्यप का हुआ। और यहीं तमोगुण शिव के उपासक भक्ति करने वाले रावण का हुआ।

    अब मना कर दिखाओ होली..!!

    अगर होली और अन्य त्योहार मनाने इतने ही जरूरी हैं तो यह तब क्यों नहीं मनाई जाते हैं जब घर में किसी मृत्यु हो जाती है तो तब खुशी के गुब्बारे क्यों नहीं मारे जाते, एक दूसरे के गालों पर गुलाल क्यों नहीं लगाया जाता।

    होली के कारण बढ़ रहा है अपराध

    इस दिन वध हुआ था अहंकारी हिरण्यकश्यप का तो होली पर भांग पीने का, अश्लील फिल्मी गीतों पर नाच नाचने का, जुए-पत्ते खेलने का रिवाज कहां से आ गया। होली के इस त्यौहार का फायदा उठाते हुए बहन बेटियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। बहन-बेटियों से अभद्रतापूर्ण व्यवहार करने की प्रथा तो उस समय भी नहीं निभाई गई होगी जब हिरण्यकश्यप वध हुआ था। लोग होली का असली अर्थ ना समझ सके। इसे त्यौहार रूप में मनाकर अपना समय, धन और शरीर तीनों ऐसे ही गंवा रहे हैं। आज वर्तमान समय में मनाई जाने वाली अश्लील होली किसी अश्लील त्यौहार से कम नहीं है। इस त्यौहार से ना तो सामाजिक और न ही व्यक्तिगत लाभ हो रहा है। बस इसका फायदा उठाकर लोग अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं।

    असली होली - राम नाम की होली

    असली होली तो राम नाम की कमाई से मनाई जाती है। जब हमारी सुरति और निरति दोनों हमारे कुल के सिरजनहार परमपिता पर ध्यान लगाते हैं, फिर हर पल हर क्षण होली जैसा प्रतीत होता है। होली पर रंग लगाकर नाथ गाने करके नकली सॉन्ग मना कर केवल मन को प्रसन्न किया जा सकता है परमात्मा को नहीं। हमारी आस केवल परमपिता के प्रति होनी चाहिए और अपने निजधाम जाने के लिए परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए।
    मन राजा खेलन चला रंग होरी हो,
    उस प्रपट्टन की शेल राम रंग होरी हो।
    उस प्रपट्टन यानि परलोक/अमरलोक की शेल।
    और पांव ना टके पपिल के रंग होरी हो,
    ये पंडित लादे भेल राम रंग होरी हो।
    कहते हे जो भक्ती का मार्ग है इन तुम्हारे ग्रंथो में नही है। पंडित लोग पहले भेलो के ऊपर सारे सद्ग्रंथ रखके और चला करते एक दूसरे से शास्त्रात करने के लिय जैसे गधे के ऊपर बोरा डाल लिया करे ऐसे भेल के ऊपर बोरा डालकर ग्रंथ रख्या करते। तो यह बताते हे की 
    चार वेद पंडित पढ्या रंग होरी हो,
    बावन अक्षर लेख राम रंग होरी हो।
    कहते हे जिस मंत्र से मोक्ष होगा वो इन ग्रंथों मे नही है भेलों को लादे फिर रहे हो और वेद खुद कहते है परमात्मा मोक्ष मार्ग को खुद डिस्क्लोज्ड करता है, अविस्कृत करता है उसकी खोज कर ला कर देता है।

    गरीबदास जी कहते हैं:-
    भक्ति मुक्ति ले उतरे, वो मेटन तीनों ताप।
    और मोहमम के (मुस्लमान) के डेरा लिया, उसको कह कह कबीरा बाप।।

    असली होली मनाने की विधि शास्त्र अनुकूल साधना

    असली यानी पूर्ण परमात्मा की भक्ति द्वारा की गई नाम की कमाई। वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है। और संत रामपाल जी महाराज शास्त्र विरुद्ध साधना बताकर लोगों को परमात्मा प्राप्ति की साधना बता रहे हैं। अपने धर्म ग्रंथों को खोल खोल कर बता रहे हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर है उन्हीं की भक्ति करने से हमारे सुख-दुख और मोक्ष की प्राप्ति होगी। अनेकों टीवी चैनलों के माध्यम से विश्व तक परमात्मा के ज्ञान को बता रहे है। 
    अवश्य सुने संत रामपाल जी महाराज जी की अमृत प्रवचन इन टीवी चैनलों के माध्यम से।

    Sant Rampal Ji Maharaj, sadhana tv



    संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के लिए यहां क्लिक करें और अवश्य पढ़े संत रामपाल जी महाराज द्वारा लिखित पुस्तकें जीने की राहज्ञान गंगा

    Comments


    Based on the knowledge of Sant Rampal Ji Maharaj

    Contact Form

    Send