भाई दूज (Bhaiya Dooj)

 भाई दूज कितनी सहायक

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भाई दूज कितनी सहायक | bhai dooj ki lok katha

भाई दूज (Bhaiya Dooj) क्या है, क्या भाई दूज मनाना चाहिए? (Should Bhai Dooj be celebrated?), क्या यमुना में स्नान करने से मोक्ष हो सकता है? (Can a bath in Yamuna lead to salvation?)


भाई दूज क्या है

रक्षाबंधन के त्यौहार के समान भाई दूज का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। भाई दूज का यह त्यौहार भाई बहन के प्यारे रिश्ते पर आधारित है। भाई बहन का यह पर्व दीपावली के दो दिन बाद आने वाला यह पर्व भाई के लिए बहन का अटूट प्रेम और स्नेह उजागर करता है। इस दिन बहने अपने भाई के लिए लंबे जीवन की कामना करती है।


भाई दूज की पौराणिक कथा | bhai dooj ki kahani

यह पौराणिक कथा सूर्य देव और छाया के पुत्र पुत्री यमराज और यमुना पर आधारित है। यमुना अपने भाई यमराज से हमेशा कहती है क्यों वह उसके घर आकर भोजन ग्रहण करें। लेकिन यमराज अपने कार्यों में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बातों को टाल देते थे। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को अचानक उसका भाई हमराज उसके द्वार पर आ जाता है अपने भाई को देखकर वह बहुत खुश हो जाती है। यमुना अपने भाई का आदर सत्कार करती है, भोजन करवाती है। बहन के इस प्यार को देखकर यमराज खुश हो जाते हैं और यमुना से वर मांगने को कहते हैं। यहां पर यमुना यह मांगती है कि आप प्रतिवर्ष मेरे यहां भोजन करने आए और बहन टीका लगाकर अपने भाई को भोजन कराएं जिससे उसे भय ना रहे।
यमराज उसको यह आशीर्वाद देकर चले जाते हैं। तब से यह माना जाने लगा है कि इस दिन बहन के आथित्य को पूरी श्रद्धा से स्वीकार करते हैं उसे और उसकी बहन को यमदेव का भय नहीं रहता है।

यहां पर यह बताना आवश्यक हो जाता है कि उस दिन यमराज ने यमुना को आशीर्वाद दिया था कि वह प्रतिवर्ष अपनी बहन के यहां भोजन करने आएंगे। तो उनकी रक्षा होगी लेकिन इसे त्योहार के रूप में मानना इसका कोई औचित्य नहीं है। इस दिन भाई के लिए लंबी उम्र की कामना करती है लेकिन यमराज भी किसी की लंबी उम्र नहीं कर सकते हैं तो कौन है जो हमारी उम्र को बढ़ा सकता है जाने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें




भाई दूज|भाई बहन का स्नेह

भाई बहन का रिश्ता सबसे अनमोल माना गया है वह बचपन से ही एक दूसरे से खेलते कूदते लड़ते झगड़ते हुए बड़े होते हैं। अगर दोनों भाई बहनों मैं कोई एक बड़ा होता है तो वह छोटे भाई बहनों की एक माता पिता की तरह देखभाल करते हैं तथा अपना स्नेह देते हैं। बड़े भाई अपनी छोटी बहनों से बहुत ही स्नेह करते हैं। माता पिता की तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं उनकी देखभाल करते है।



भाई दूज मनाने का तरीका

भाई दूज का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई को कुमकुम का तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती है। पर भाई उनका मिठाई से उनका मुंह मीठा करते हैं। भाई दूज भी रक्षा बंधन की तरह मनाया जाता है। और इस दिन भी भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। वस्त्र भेंट करते हैं। और बहने भाई की लंबी उम्र के लिए कामना करती है।

क्या भाई दूज मनाना सही है?

भाई दूज का पर्व प्रतिवर्ष 2 बार मनाया जाता है एक होली के समय और दूसरा दीपावली के 2 दिन बाद। लेकिन यहां पर यह जानना बहुत आवश्यक है कि भाई दूज मनाना सही है या गलत चले जानते हैं इस बारे में -

पद्म पुराण के अनुसार यमराज की पूजा करके यमुना नदी में स्नान करने से व्यक्ति यमलोक में नहीं जाता है अर्थात उसका मोक्ष हो जाता है।

उत्तर प्रदेश के मथुरा में यमराज जी का मंदिर है। लोक वेद की मान्यताओं के अनुसार जहां पर भाई-बहन यमराज जी की पूजा करते हैं। यह सब यम द्वितीया पर होती है। मथुरा में विश्राम घाट पर एक स्नान स्थल होता है जिसमें हजारों लाखों भाई बहन यह आशा करके वहां पर यमुना नदी में स्नान करते हैं कि उनके सारे पाप समाप्त हो जाएंगे उनके किए गए सारे पाप खत्म हो जाएंगे अथार्थ मोक्ष को प्राप्त होंगे

यह बात विचार करने योग्य है कि यदि यमुना नदी में स्नान करने से  साधक का मोक्ष जाता है तो फिर उस जल में रहने वाले जीव जंतु सीधे मोक्ष को प्राप्त होंगे क्योंकि वह सब जल में ही तो रहते हैं। उन सब का भी मोक्ष हो जाना चाहिए था। और जब यमुना नदी में स्नान करने जाते हैं जिसका उद्देश्य होता है कि वह पाप कर्म से मुक्त हो जाएंगे लेकिन उनके पाप तो जल में ही हो जाते हैं कहने का अर्थ यह है कि जब स्नान करते हैं तब उस में रहने वाले जीवो की हत्या करके पाप तो वहीं इकट्ठे हो जाते हैं। यानी जीवो की हत्या करके (पाप करके )अपने लिए मोक्ष की कामना करना ऐसे तो साधक का कतई मोक्ष नहीं हो सकता

भैया दूज का यह त्यौहार ना तो व्यक्ति की उम्र बढ़ा सकता है और ना ही उसे चौरासी लाख योनियों में में जाने से रोक सकता है। शास्त्र विरुद्ध साधना करने वाले साधक का तो मोक्ष प्राप्ति तो बहुत दूर है वह तो अपने कष्ट परेशानी तथा पाप भी नहीं काट सकते। अगर यमुना में जाकर स्नान करने से या यमराज जी की पूजा करने से व्यक्ति के पाप कर्म नष्ट हो जाते तो 33 करोड़ देवी देवता की पूजा करने की क्या जरूरत है?

कहने का तात्पर्य यह है कि यह जो यमराज जी की पूजा और यमुना में स्नान करने की प्रथा यह सब शास्त्र विरुद्ध साधना है यह करने से साधक का मोक्ष नहीं हो सकता। इस निष्कर्ष यही निकलता है कि भैया दूज मनाना सही नहीं है।

वास्तविक रक्षक कौन है? जो हमारे पाप कर्म भी समाप्त कर सकते हैं।

पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 मैं कहा गया है कि शास्त्र विधि को त्याग कर मन माना आचरण करने से सुख शांति, सिद्धि, परम गति कुछ प्राप्त नहीं होता है।

शास्त्रों के अनुसार साधना करने से ही साधक मोक्ष को प्राप्त हो सकता है। 
भाई दूज के द्वारा भाई बहन की लंबी उम्र नहीं बढ़ सकती ना ही उनकी रक्षा हो सकती है। हमारी रक्षा केवल पूर्ण परमात्मा ही कर सकते हैं।
इस सृष्टि के रचनहार पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी हैं, इन्हीं की भक्ति करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होगी तथा पूर्ण परमात्मा ही साधक के पाप कर्म समाप्त कर सकते हैं।  
और इसके लिए पूर्ण सतगुरु से नाम दीक्षा लेकर सत भक्ति साधना करनी होगी। पूर्ण सतगुरु के बिना कोई भी हमारे मार्ग के पाप कर्म समाप्त करने में सक्षम नहीं है।

बहन भाई को सत भक्ति का सच्चा मार्ग खोजना चाहिए। सुनी सुनाई, लोक वेद पर आधारित शास्त्र विरुद्ध साधना पर ध्यान  देखकर अपना अमूल्य मनुष्य जीवन को व्यर्थ न जाने दें। क्योंकि अंत समय में यमदूत ही शास्त्र विरुद्ध साधना करने वालों को जबरदस्ती पकड़ कर ले जाते हैं। तथा नरक में ले जाकर यातनाएं देते हैं।

सत भक्ति का मार्ग

पृथ्वी पर पूर्ण परमात्मा जगत गुरु संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में आए हुए हैं जो कि सत भक्ति साधना का मानव जीवन मैं महत्व को समझाया है। 
मोक्ष का अर्थ होता है हमेशा के लिए जन्म मरण के कष्ट से मुक्ति पाना और यह सतगुरु के बिना असंभव है।

अगर आप अपने मानव जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहते हैं अथार्थ सत भक्ति साधना करके मोक्ष की प्राप्ति चाहते हैं जो अभी संत रामपाल जी महाराज जी के नाम से लेकर अपना मोक्ष करवाएं। 
संत रामपाल जी महाराज जी से नाम दीक्षा लेने के लिए यहां क्लिक करें।

Comments

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Based on the knowledge of Sant Rampal Ji Maharaj

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