दिवाली क्या है: एक पर्व की कहानी & What is Diwali 2023: Story of a festival

What is Diwali? Know the secret behind celebrating Diwali

दीवाली भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर साल अक्टूबर और नवम्बर महीने में मनाया जाता है यह त्योहार हिन्दू धर्म का है और भारतीय समुदाय के विभिन्न हिस्सों में खुशी-खुशी धूमधाम से मनाया जाता है।

दिवाली का शाब्दिक अर्थ "पंकलियों की पंक्ति" से निकलता है, जिसका तात्पर्य रंग-बिरंगी पंक्तियों से है जो इस त्योहार के दिनों में जलाई जाती हैं। इसे धर्मिक दृष्टि से माना जाता है क्योंकि यह भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन का स्मरण है।

इसे व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। व्यापारी वर्ग के लोग इसे अपने लेन-देन की खाता-बही के रूप में देखते हैं। इस त्योहार के दिन व्यापारी अपने पुराने खाता-बही का खाता-बही सजाकर नया खाता-बही शुरू करते हैं।

दिवाली के इस महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान घरों को सजाया जाता है और रात्रि के समय दीपों की रौनक बिखेरी जाती है। इससे घर की वातावरण में एक अद्वितीय माहौल बनता है और लोग एक-दूसरे के साथ खुशियों का आनंद लेते हैं।

दिवाली के त्योहार में विभिन्न भोजन व्यंजनों को बनाने का रिवाज है। मिठाई, नमकीन और विभिन्न प्रकार की सब्जियां खासकर बनती हैं।

इस उत्सव के दिन लोग आपसी मोहभंग और विश्वास को मजबूती से महसूस करते हैं और नये उत्साह और ऊर्जा के साथ नए साल की शुरुआत करते हैं।

दिवाली एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आनंद और एकता की भावना का प्रतीक है। यह समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने का माध्यम बनता है और एक सजीव और समृद्ध समुदाय की भावना को उत्तेजित करता है।

दिवाली का शुभ मुहूर्त कब से है? When is the auspicious time of Diwali 2023?

दिवाली, हिन्दुओं के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है जो पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार खुशियों और उत्साह का पर्व है जो विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है। दिवाली का शुभ मुहूर्त इस उत्सव के आयोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

विभिन्न पंचांगों और परंपराओं के अनुसार, दिवाली का शुभ मुहूर्त वर्ष के विभिन्न तिथियों पर आ सकता है। अक्सर यह तिथि अश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को होती है। लेकिन कई बार विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों में इसका आयोजन विभिन्न तिथियों पर भी होता है।

दिवाली के उत्सव का आयोजन अमावस्या को होता है क्योंकि इस दिन आसमान में चंद्रमा नहीं दिखता है और रात काफी अंधेरी होती है। लोग घरों को दीपों से सजाकर रौंगते हैं ताकि अंधकार दूर हो जाए और ज्यों की ज्यों देवी लक्ष्मी को अपने घर में आने के लिए आमंत्रित करते हैं।

दिवाली के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा भी यह है कि इस दिन व्यापारी वर्ग अपने खाता-बही को देखता है और नए खाता-बही खोलता है। यह व्यापारिक समृद्धि की ओर एक कदम बढ़ाने का संकेत माना जाता है।

समापनस्थल पर, इस उत्सव को परिवार और दोस्तों के साथ खुशी-खुशी मनाया जाता है। विभिन्न व्यंजनों की विशेष तैयारियों से घरों की महक बढ़ जाती है। खासकर मिठाइयों का आयोजन और उन्हें दोस्तों और पड़ोसियों को भेंट करना इस उत्सव को और भी आनंदमय बनाता है।

समापकर, दिवाली का शुभ मुहूर्त उत्सव के आयोजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे विभिन्न तिथियों पर अनुसरण किया जाता है। यह एक समृद्धि और खुशियों का महोत्सव है जो सभी धर्मों और समुदायों के लोगों के लिए एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है। 

2023 में दिवाली पूजा का समय क्या है?What is the timing of Diwali puja in 2023?

भारतीय संस्कृति में दिवाली पर्व को विशेष महत्व दिया जाता है। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। 2023 में, दिवाली पूजा का आयोजन  12 नवंबर को होगा।

दिवाली का मतलब होता है 'पर्वों की पंक्ति'। यह पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन मनाया जाता है। उनके आगमन का स्वागत करते हुए अयोध्या नगरी ने दीपों से जगमग कर रौंगते किए थे। इस घड़ी में वहां के नागरिक खुशी के आंसुओं से भर गए थे। इसी घड़ी को याद करते हुए हर साल दिवाली पर्व का आयोजन होता है।

दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें दीपों से रोशन करते हैं। यह संकेतिक रूप से अच्छाई और प्रकाश का प्रतीक है। भगवान गणेश और गोदेवी लक्ष्मी की पूजा भी इस दिन की जाती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और विशेष रूप से अपने घरों को साफ-सुथरा करते हैं।

दिवाली का एक अन्य महत्वपूर्ण त्योहार है धनतेरस, जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस के दिन लोग धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए लक्ष्मी पूजा करते हैं।

दिवाली के इस पर्व के माध्यम से लोग एक-दूसरे के साथ भाईचारा और समर्थन का आदान-प्रदान करते हैं। यह एक उत्साही और खुशियों भरा माहौल बनाता है।

इस तरह, 2023 में दिवाली पूजा का समय 12 नवंबर को है और यह एक विशेष त्योहार है जो सभी भारतीयों के लिए महत्वपूर्ण है। यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है जो समृद्धि, समर्थन और आनंद का प्रतीक है।

दिवाली की पूजा विधि 2023: Diwali puja method

दिवाली, हिन्दू धर्म के एक महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भारत में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के त्योहार को खुशियों और उत्तेजना का पर्व माना जाता है। इसे धनतेरस, चोटी दिवाली, लक्ष्मी पूजा, गोवत्स द्वादशी और भाई दूज जैसे उप-त्योहारों के साथ मनाया जाता है। इन सभी उप-त्योहारों में विभिन्न प्रकार की पूजाएँ और अनुष्ठान किए जाते हैं।

दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सजाकर खुशहाली और खुशी का संकेत देते हैं। घरों को दीपों से सजाने का आदिकारिक रितुल है और यह बताता है कि अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का संकल्प किया गया है।

दिवाली की पूजा का आयोजन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा के रूप में किया जाता है। लक्ष्मी माता को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है और इसलिए उनकी पूजा को धन लाभ के लिए किया जाता है। लक्ष्मी पूजा के दिन विशेष रूप से शुभ मुहूर्त का पालन करके लोग अपने घरों में पूजा का आयोजन करते हैं।

यहाँ दिवाली की पूजा की विधि दी जा रही है:

1. वस्त्रार्पण: पहले, विश्वास किया जाता है कि घर को सजाने के लिए माता लक्ष्मी को खुद आना होता है। इसलिए, घर को सजाने के लिए एक सुंदर वस्त्र उनके आगमन के लिए तैयार रखें।

2. विघ्नेश्वर पूजा: पूजा का आदिकारिक आरंभ गणेश जी की पूजा से होता है। घर के प्रवेश द्वार पर या पूजा स्थल पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें और उनकी पूजा करें।

3. कुबेर पूजा: कुबेर धन के देवता माने जाते हैं। उन्हें धन और समृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। उनकी मूर्ति या चित्र को उपासना स्थल पर स्थापित करें और उनकी पूजा करें।

4. लक्ष्मी पूजा: इस विशेष दिन माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उनकी मूर्ति या चित्र को उपासना स्थल पर स्थापित करें और उनकी पूजा करे

दीपावली पर क्या करना चाहिए 2023? What should be done on Diwali 2023

दीपावली, भारतीय उपमहाद्वीप के एक प्रमुख हिन्दू त्योहारों में से एक है। यह त्योहार खुशियों और उत्साह का एक अद्वितीय समय है जो लोग समाज में अपार धार्मिक भावनाओं के साथ मनाते हैं। इस दिन विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में धीपों को जलाने का आदान-प्रदान किया जाता है।

दीपावली का आयोजन विशेष ध्यान और तैयारी के साथ करना चाहिए। यहाँ कुछ उपाय दिए जा रहे हैं जो दीपावली को और भी विशेष बना सकते हैं:

घर को सजाना संजोलन से: दीपावली के आस-पास अपने घर को सजाने-सवारने का प्रयास करें। घर को सजाना-संवारना दीपावली के माहौल को और भी रंगीन बना देगा।

रंगोली बनाना: रंगोली बनाना एक पारंपरिक शौक है जो दीपावली को और भी रौंगते देता है। रंगोली बनाने से घर में शुभता और खुशियों की वातावरण बनती है।

परिवार के साथ समय बिताना: दीपावली के दिन परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक अद्वितीय अवसर है जब सभी एक साथ आकर्षक वातावरण में समय बिता सकते हैं।

धार्मिक आयोजनों में भाग लेना: दीपावली के दिन धार्मिक आयोजनों में भाग लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिरों में पूजा, आरती और पर्वीय आयोजनों में शामिल होना दीपावली के महत्व को और भी बढ़ाता है।

आदर-सत्कार और उपहार: दीपावली के अवसर पर अपने परिवार और दोस्तों को आदर-सत्कार करने के लिए उपहार देना अच्छा विचार है। यह एक अच्छा तरीका है अपने प्यार और शुभकामनाओं को व्यक्त करने का।

आत्म-समर्पण और सेवा: दीपावली के दिन आत्म-समर्पण और सेवा का भाव रखना बहुत महत्वपूर्ण है। गरीबों और आवश्यकयों को सहायता करने का एक अद्वितीय तरीका है।

इन उपायों को अपनाकर, हम दीपावली को एक विशेष और यादगार तरीके से मना सकते हैं

दिवाली के रहस्य : Secrets of Diwali 2023?

दिवाली, भारतीय सभ्यता का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर वर्ष अक्टूबर और नवम्बर के बीच मनाया जाता है। यह हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, लेकिन विभिन्न धर्मों और समुदायों में उत्सव और खुशियों का त्योहार माना जाता है। दिवाली के पीछे छिपे रहस्यों को समझने के लिए हमें इस उत्सव के महत्व और इसके विभिन्न पहलुओं को विचार करने की आवश्यकता है।

दिवाली का अर्थिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। यह त्योहार विभिन्न धर्मों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है, लेकिन आमतौर पर यह विशेष रूप से धन लाभ और समृद्धि के लिए मनाया जाता है। लोग इस त्योहार में अपने घरों को सजाते हैं, रंग-बिरंगे दीपक जलाते हैं और विभिन्न प्रकार की परंपरागत वस्त्र पहनते हैं। व्यापारी वर्ग के लिए दिवाली वर्ष के एक महत्वपूर्ण समय का पता होता है जब वे लाभ की उम्मीद करते हैं।

दिवाली का धार्मिक पहलू भी महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म में, दिवाली का अर्थ विजय का पर्व है। यह भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने के दिन के रूप में मनाया जाता है जिन्होंने लंका के राजा रावण को पराजित किया था। इसके साथ-साथ, विभिन्न भागों में दिवाली का अपना महत्व और कथाएँ हैं।

वसंत पंचमी को वामन जन्मोत्सव के रूप में मनाने की परंपरा भी एक रहस्यमय पहलू है। दिवाली के दिन भगवान वामन का अवतरण हुआ था, जो देवताओं को असुरों से मुक्त करने के लिए उतरे थे। इसके साथ-साथ, इसे लक्ष्मी पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जो धन, समृद्धि और सौभाग्य की देवी हैं।

दिवाली का यह रहस्यमय पहलू है कि यह भारतीय समुदायों को एकजुट करता है और उन्हें सामाजिक और आध्यात्मिक साथीता की महत्वपूर्णता को समझाता है। यह एक अवसर है जब परिवार और मित्रों को एक साथ लौटने का आनंद लेते हैं और साथ ही धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों को आत्मसात करते हैं।

दीवाली Vs संत रामपाल जी महाराज 

मार्गदर्शन और उपदेशों के माध्यम से जनता को जागरूक करने वाले संत रामपाल जी महाराज का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दिवाली जैसे पर्वों के रहस्यों को समझाने में है। दिवाली, भारतीय सभ्यता का अभिन्न हिस्सा है और विभिन्न प्रकार से मनाया जाता है।

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार, दिवाली का असली रहस्य भगवत गीता और सतगुरु के उपदेशों में छिपा हुआ है। वे बताते हैं कि दिवाली का अर्थ अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का है। यह एक आत्मिक उत्थान का पर्व है जिसमें अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से हराया जाता है।

उनके अनुसार, दिवाली का महत्व भगवद्गीता के ज्ञान को प्राप्त करने में है। जब व्यक्ति अपने आत्मा के सच्चे स्वरूप को समझता है, तो उसे अंधकार से मुक्ति मिलती है। इस रूप में दिवाली एक आत्मिक अनुभव बन जाती है, जो व्यक्ति को आत्मा के प्रकाश के साथ जोड़ता है।

संत रामपाल जी महाराज के उपदेशों में दिवाली के रहस्य को जानने का एक अद्वितीय और आत्मिक तरीका प्रस्तुत किया गया है। उनका योगदान भारतीय समाज को ज्ञान और आत्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

अंत में, संत रामपाल जी महाराज के उपदेशों का अनुसरण करके, व्यक्ति अपने जीवन को एक नयी दिशा दे सकता है और दिवाली के वास्तविक अर्थ को समझ सकता है। यह न केवल उसके आत्मिक विकास के लिए उपयोगी होगा, बल्कि समाज के लिए भी एक बेहद मौलिक योगदान साबित हो सकता है।

संत रामपाल जी का ज्ञान कैसा है? How is the knowledge of Saint Rampal ji?

Sant Rampal Ji Maharaj

संत रामपाल जी महाराज वे एक आध्यात्मिक गुरु हैं जिन्होंने भगवद गीता, वेद और अन्य धार्मिक ग्रंथों का आध्यात्मिक अर्थ अपने शिष्यों को बताया है। उन्होंने सच्चे भगवान का ज्ञान बांटने का काम किया है और उनके उपदेशों का पालन करने के लिए लाखों लोग उनके अनुयायी बन चुके हैं।

संत रामपाल जी के ज्ञान का मुख्य उद्देश्य मानवता की सेवा और धर्मिक उत्थान है। उनके अनुयायी विभिन्न धर्मों और समुदायों से लोग हैं और वे सामाजिक रूप से उत्थान के लिए उनके मार्गदर्शन का अनुसरण करते हैं।

उनके ज्ञान का एक महत्वपूर्ण घटक भगवद गीता का अध्ययन और उसके आध्यात्मिक अर्थ की समझ है। उन्होंने गीता के श्लोकों का विस्तार करके उनके शिष्यों को वेदांतिक ज्ञान का उपदेश किया है। संत रामपाल जी के ज्ञान की विशेषता यह है कि वे धर्मिक विवादों और धार्मिक विभाजन को दूर करने के लिए काम करते हैं। उन्होंने भक्ति और सेवा के माध्यम से मानवता को एक साथ लाने का प्रयास किया है।

इसके अलावा, उन्होंने सत्संगों और प्रवचनों के माध्यम से लोगों को ध्यान और ध्यान योग की महत्वपूर्णता के बारे में शिक्षा दी है। उनके ज्ञान का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा यह है कि वे मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं और लोगों को उनके जीवन को उत्थान करने के लिए समय और श्रम कैसे देना चाहिए, इसका सही मार्गदर्शन करते हैं। संत रामपाल जी के ज्ञान का एक और विशेषता यह है कि वे ज्ञान को व्यापक और अपरंपरागत ढंग से बांटते हैं, जिससे उनके शिष्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग हो सकते हैं।

मापन स्थिति में, संत रामपाल जी का ज्ञान विश्वभर में भक्ति और एकता के संदेश को फैलाने का कार्य कर रहा है। उनके ज्ञान का उद्देश्य सबके लिए खुशियों और शांति की राह दिखाना है ताकि वे एक सफल और उद्धारणीय जीवन जी सकें।

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