दो शब्द | Motivational Story
आज का प्रेरक प्रसंग
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दो शब्द | Motivational Story |
!! दो शब्द !!
बहुत समय पहले की बात है, एक प्रसिद्द गुरु अपने मठ में शिक्षा दिया करते थे। पर यहाँ शिक्षा देना का तरीका कुछ अलग था।
गुरु का मानना था कि सच्चा ज्ञान मौन रह कर ही आ सकता है; और इसलिए मठ में मौन रहने का नियम था। लेकिन इस नियम का भी एक अपवाद था, दस साल पूरा होने पर कोई शिष्य गुरु से दो शब्द बोल सकता था।
Hindi Motivational Story
पहला दस साल बिताने के बाद एक शिष्य गुरु के पास पहुंचा, गुरु जानते थे की आज उसके दस साल पूरे हो गए हैं ; उन्होंने शिष्य को दो उँगलियाँ दिखाकर अपने दो शब्द बोलने का इशारा किया।
शिष्य बोला, ”खाना गन्दा“ गुरु ने ‘हाँ’ में सर हिला दिया। इसी तरह दस साल और बीत गए और एक बार फिर वो शिष्य गुरु के समक्ष अपने दो शब्द कहने पहुंचा। ”बिस्तर कठोर”, शिष्य बोला।
गुरु ने एक बार फिर ‘हाँ’ में सर हिला दिया। करते-करते दस और साल बीत गए और इस बार वो शिष्य गुरु से मठ छोड़ कर जाने की आज्ञा लेने के लिए उपस्थित हुआ और बोला, “नहीं होगा”
गुरु जी ने बोला जानता था और उस शिष्य को जाने की आज्ञा दे दी और मन ही मन सोचा जो 10 साल बाद थोड़ा सा मौका मिलने पर भी शिकायत करता है वो ज्ञान प्राप्त कर नहीं कर सकता है।
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शिक्षा :-
फ्रेंड्स! बहुत से लोग अपनी लाइफ शिकायत करने में ही बीता देते हैं, और उस शिष्य की तरह अपने उद्देश्य से से दूर हट जाते हैं।शिष्य ने पहले दस साल सिर्फ ये बताने के लिए इंतज़ार लिया कि खाना गन्दा है ; यदि वो चाहता तो इस समय में वो खुद खाना बनाना सीख कर अपने और बाकी लोगों के लिए अच्छा खाना बना सकता था, चीजों को बदल सकता था
हमें यही करना चाहिए। हमें शिकायत करने की जगह चीजों को सही करने की दिशा में काम करना चाहिए। और कम्प्लेन करने की जगह, “हमें खुद वो बदलाव बनना चाहिए जो हम दुनिया में देखना चाहते हैं। जब खुद बदलेंगे तभी तो दूसरों में बदलाव दिखाई देगा।
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