सही शिक्षा क्या है ?
सही शिक्षा क्या है ? |
शिक्षा क्या है :- शिक्षा शब्द संस्कृत के 'शिक्ष' से लिया गया है, जिसका अर्थ है, सीखना या सिखाना। साधारण शब्दों में शिक्षा उसे कहा जाता है जिस प्रक्रिया द्वारा अध्ययन और अध्यापन होता है।
शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण विनम्र और संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से मानवीय गरिमा स्वाभिमान और विश्व बंधुत्व में बढ़ोतरी होती है। शिक्षा का उद्देश्य है सत्य की खोज खोज का केंद्र अध्यापक होता है जो अपने विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जीवन में व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा देता है।
किसी भी व्यक्ति की प्रथम पाठशाला उसका परिवार होता है। और मां को पहली गुरु कहा गया है। शिक्षा वह अस्त्र है जिसकी सहायता से बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं। वह शिक्षा ही होती है जिसकी वजह से मैं सही गलत का पता चलता है अच्छे बुरे का ज्ञान कर पाते हैं। कहा जाता है कि एक वक्त की रोटी ना मिले, चलेगा। किंतु शिक्षा जरूर मिलनी चाहिए। शिक्षा पाना प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार है।
आइए जानते हैं शिक्षा हमारे लिए क्यों उपयोगी है :-
शिक्षा वह महत्वपूर्ण उपकरण है जो हर किसी केजीवन में बहुत उपयोगी है। शिक्षा वह है जो हमें संसार में अन्य प्राणियों से अलग करती हे। यह मनुष्य को पृथ्वी का सबसे चतुर और बुद्धिमान प्राणी बनाती है। सही शब्दों में शिक्षा व्यक्ति को उनके जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना करने के लिए तैयार करती है।
टैगोर के अनुसार, 'हमारी शिक्षा स्वार्थ पर आधारित, परीक्षा पास करने के संकीर्ण मकसद से प्रेरित यथाशीघ्र नौकरी पाने का जरिया बनकर रह गई है जो एक कठिन और विदेशी भाषा में साझा की जा रही है।'
महात्मा गांधी के अनुसार,'शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक बौद्धिक और शारीरिक पहलुओं को उभारती है और प्रेरित करती हैं।'
स्वामी विवेकानंद के अनुसार,'शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।'
आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों को केवल पुस्तकों मे बताई गई अध्ययन सामग्री का ही अध्ययन कराया जाता है। लेकिन वर्तमान समय में मानव मस्तिष्क का बहुत विकास हो चुका है। पुस्तकों के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी होना आवश्यक है।
आपको एक बार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तकें को अवश्य पढ़ना चाहिए।
ज्ञान गंगा
जीने की राह
संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार शिक्षा का केवल एक ही गुण है:-
शिक्षा का बहुत बड़ा अवगुण है कि प्राणी चतुर बन गया है इतना चतुर हो गया है प्राणी, की उसको माया के अतिरिक्त धन के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता है ना इज्जत देखते है ना बहन देखते ना भाई देखता ना पिता दिखता। बस उसको यही दिखाई देता है कि में बहुत माया जोडू, धन कमाऊ बड़ा सा मकान हो मेरा, बड़े कार हो मेरी, और ठाट बाट से रहूं मैं।
चार युग बीत गए उनमें केवल कामचलाऊ शिक्षा थी।
जैसे एक ब्राह्मण वर्ग होता था उनको बोला जाता था कि कि आप अध्ययन करो और हमें सही राह बताओ वह वर्ग उन्हें समझा देते थे बस उनका इतना ही था। पहले किसी प्रकार का जुलुम नहीं था जो अभी वर्तमान समय में हो रहा है।
सबसे पहले निर्लज्ज हुए उसके बाद निर्दई हो गए यह सभी घरों में देखा जा सकता है आपसी द्वेष बन गए हैं झगड़े शुरू हो चुके हैं मुकदमा चल रहा है।
हमारे पूर्वज झोपड़ियों में रहा करते थे। भगवान को याद करते थे और वर्षा हो जाती थी और परमात्मा का धन्यवाद किया करते थे अगर किसी कारणवश वर्षा नहीं होती थी तो सामूहिक बैठकर परमात्मा का गुण गाया करते थे विनम्रता रखते थे। और भगवान से डरने वाले थे। परमात्मा उनके संस्कार वश बरसात करते थे। बहुत अच्छी सुविधाएं होती थी बड़े-बड़े फलदार वृक्ष होते थे और आज वर्तमान समय में एक छोटा सा बाग लगाओ वही नहीं लगता सही से। ना कोई ढंग का फल सब्जी रहे। उनमें रासायनिक खाद वगैरह डाल कर विष बनाकर विष खा रहे हैं।
कहने का सारांश यह है कि शिक्षा का अगर हमें लाभ है शिक्षा का सारा ही अवगुण ही अवगुण हैं शिक्षा से हमें क्या लाभ हुआ यही हुआ कि हमें नौकरी मिल गई बिजनेस कर लिया बस इतना ही लाभ अगर किसी को नौकरी नहीं मिली बिजनेस नहीं हुआ तो भी वह शिक्षित हैं लेकिन वह चतुर बन गए और वह छोटी-छोटी बातों पर हर किसी के साथ झगड़ा करने लगे क्योंकि वह चतुर बन गए हैं छोटी-छोटी बातों को चतुराई से देखते हैं इस कारण सभी भगवान से दूर हो गई
अगर वर्तमान समय में शिक्षा का कोई लाभ है तो वह है कि हम अपने परमात्मा को पहचाने। एक ही गुण है शिक्षा का और कुछ भी और नहीं है
आमतौर पर देखा जाता है कि बच्चों को केवल पुस्तकों मे बताई गई अध्ययन सामग्री का ही अध्ययन कराया जाता है। लेकिन वर्तमान समय में मानव मस्तिष्क का बहुत विकास हो चुका है। पुस्तकों के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी होना आवश्यक है।
आपको एक बार संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखित पुस्तकें को अवश्य पढ़ना चाहिए।
ज्ञान गंगा
जीने की राह
संत रामपाल जी महाराज जी के अनुसार शिक्षा का केवल एक ही गुण है:-
शिक्षा का बहुत बड़ा अवगुण है कि प्राणी चतुर बन गया है इतना चतुर हो गया है प्राणी, की उसको माया के अतिरिक्त धन के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता है ना इज्जत देखते है ना बहन देखते ना भाई देखता ना पिता दिखता। बस उसको यही दिखाई देता है कि में बहुत माया जोडू, धन कमाऊ बड़ा सा मकान हो मेरा, बड़े कार हो मेरी, और ठाट बाट से रहूं मैं।
चार युग बीत गए उनमें केवल कामचलाऊ शिक्षा थी।
जैसे एक ब्राह्मण वर्ग होता था उनको बोला जाता था कि कि आप अध्ययन करो और हमें सही राह बताओ वह वर्ग उन्हें समझा देते थे बस उनका इतना ही था। पहले किसी प्रकार का जुलुम नहीं था जो अभी वर्तमान समय में हो रहा है।
सबसे पहले निर्लज्ज हुए उसके बाद निर्दई हो गए यह सभी घरों में देखा जा सकता है आपसी द्वेष बन गए हैं झगड़े शुरू हो चुके हैं मुकदमा चल रहा है।
हमारे पूर्वज झोपड़ियों में रहा करते थे। भगवान को याद करते थे और वर्षा हो जाती थी और परमात्मा का धन्यवाद किया करते थे अगर किसी कारणवश वर्षा नहीं होती थी तो सामूहिक बैठकर परमात्मा का गुण गाया करते थे विनम्रता रखते थे। और भगवान से डरने वाले थे। परमात्मा उनके संस्कार वश बरसात करते थे। बहुत अच्छी सुविधाएं होती थी बड़े-बड़े फलदार वृक्ष होते थे और आज वर्तमान समय में एक छोटा सा बाग लगाओ वही नहीं लगता सही से। ना कोई ढंग का फल सब्जी रहे। उनमें रासायनिक खाद वगैरह डाल कर विष बनाकर विष खा रहे हैं।
कहने का सारांश यह है कि शिक्षा का अगर हमें लाभ है शिक्षा का सारा ही अवगुण ही अवगुण हैं शिक्षा से हमें क्या लाभ हुआ यही हुआ कि हमें नौकरी मिल गई बिजनेस कर लिया बस इतना ही लाभ अगर किसी को नौकरी नहीं मिली बिजनेस नहीं हुआ तो भी वह शिक्षित हैं लेकिन वह चतुर बन गए और वह छोटी-छोटी बातों पर हर किसी के साथ झगड़ा करने लगे क्योंकि वह चतुर बन गए हैं छोटी-छोटी बातों को चतुराई से देखते हैं इस कारण सभी भगवान से दूर हो गई
अगर वर्तमान समय में शिक्षा का कोई लाभ है तो वह है कि हम अपने परमात्मा को पहचाने। एक ही गुण है शिक्षा का और कुछ भी और नहीं है
Amazing
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteWow nice
ReplyDeleteVery useful
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteGajab hai
ReplyDeleteVery Nice👍.. .. .... ..
ReplyDeleteBahoot acha hai
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